काशी से उठी नशामुक्त भारत की हुंकार, युवा ही बनेंगे विकसित राष्ट्र के प्रहरी
रुद्राक्ष कन्वेंशन
सेंटर
में
शुरू
हुआ
युवा
आध्यात्मिक
शिखर
सम्मेलन,
600 युवाओं
ने
लिया
बदलाव
का
संकल्प
मोबाइल, रील
और
नशे मुक्ति
के
बिना
नहीं
बनेगा
विकसित
भारत
: डॉ.
मांडविया
सुरेश गांधी
वाराणसी. काशी नगरी की पवित्र धरती से एक बार फिर बदलाव की पुकार उठी है। इस बार स्वर था “नशामुक्त युवा, विकसित भारत“ का। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को शुरू हुए युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन ने न केवल देश के 600 से अधिक युवाओं को एक मंच पर लाया, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए आत्मानुशासन और चेतना जागरण का भी मार्ग दिखाया।
सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय
युवा मामले एवं खेल मंत्रालय
द्वारा किया गया, जिसमें
देशभर के 122 आध्यात्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों
के प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन का
उद्घाटन करते हुए केंद्रीय
युवा मामले, खेल, श्रम एवं
रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया
ने कहा कि “भारत
तभी विकसित राष्ट्र बन सकता है,
जब इसके युवा नशे,
मोबाइल की लत और
सोशल मीडिया की रीलों के
जाल से खुद को
मुक्त कर सकें।” उन्होंने
कहा कि प्रधानमंत्री मोदी
द्वारा 2022 में लाल किले
से बताए गए ‘पंच
प्रण’ का आधार युवा
शक्ति है, और इस
शक्ति का सही उपयोग
तभी संभव है जब
युवा मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप
से स्वस्थ रहें।
“युवाओं को केवल योजनाओं
का लाभार्थी नहीं, बल्कि देश के भाग्य-विधाता के रूप में
देखा जाना चाहिए,” उन्होंने
कहा कि नशा आज
केवल व्यक्तिगत विनाश नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय भविष्य
के लिए एक गंभीर
खतरा है। उन्होंने धार्मिक
व सामाजिक संस्थाओं से आह्वान किया
कि वे अपने मंचों
से नशामुक्ति को जनांदोलन बनाने
की दिशा में काम
करें। “एक शिविर काफी
नहीं, हर युवा को
पाँच लोगों को जोड़ने का
संकल्प लेना होगा,”
काशी से होगी ‘नशामुक्त भारत’ की घोषणा
सम्मेलन का समापन 20 जुलाई
को ’काशी घोषणा’ के
साथ होगा। यह एक ऐतिहासिक
दस्तावेज होगा, जिसमें युवाओं और आध्यात्मिक संगठनों
की सम्मिलित सोच के आधार
पर एक राष्ट्रीय कार्ययोजना
प्रस्तुत की जाएगी। यह
घोषणा नीति निर्माताओं, युवाओं
के संगठनों और नशा मुक्ति
के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं
के लिए मार्गदर्शक का
कार्य करेगी।
चार सत्रों में होगी गहन मंथन
सम्मेलन के दौरान चार
प्रमुख विषयों पर गहन चर्चा
की जा रही है
: 1. नशे की आदत और
युवाओं पर प्रभाव
2. नशीली दवाओं के नेटवर्क और
आर्थिक हितों का पर्दाफाश. 3. प्रभावी
जनसंवाद और जागरूकता की
रणनीतियाँ. 4. 2047 तक नशामुक्त भारत
की दिशा में दीर्घकालिक
कार्ययोजना. इन विषयों पर
देशभर से आए मनोवैज्ञानिकों,
समाजशास्त्रियों, आध्यात्मिक गुरुओं और युवा नेताओं
के बीच संवाद, पैनल
चर्चा और कार्यशालाएं आयोजित
हो रही हैं।
रील संस्कृति पर भी चिंता
सम्मेलन में विशेष रूप
से यह भी रेखांकित
किया गया कि रील
संस्कृति, स्क्रीन एडिक्शन और डिजिटल डोपामीन
युवाओं के आत्मबोध और
लक्ष्य के रास्ते में
गंभीर अवरोध बन रहे हैं।
युवाओं को ‘डिजिटल संतुलन’
सिखाने और ध्यान, योग,
सेवा जैसे विकल्प देने
की आवश्यकता पर ज़ोर दिया
गया।
काशी : परिवर्तन की भूमि
डॉ. मांडविया ने
कहा कि “काशी केवल
अध्यात्म की नगरी नहीं,
बल्कि परिवर्तन की जननी है।
यहाँ से जो संदेश
निकलता है, वह देश
के कोने-कोने में
पहुँचता है।” उन्होंने युवाओं
से आह्वान किया कि वे
केवल व्यक्तिगत सुधार तक सीमित न
रहें, बल्कि समाज परिवर्तन के
वाहक बनें।
उद्देश्य स्पष्ट : नशा नहीं, नवचेतना चाहिए
युवा आध्यात्मिक शिखर
सम्मेलन ने यह साफ
कर दिया है कि
अब समय केवल ’प्रेरक
भाषणों’ का नहीं, बल्कि
ठोस प्रतिबद्धता और नीतिगत क्रियान्वयन
का है। काशी से
निकली यह चेतना लहर
यदि सही दिशा में
प्रवाहित हो, तो निश्चित
रूप से 2047 का भारत एक
नशामुक्त, सशक्त और जागरूक राष्ट्र
के रूप में विश्वपटल
पर खड़ा होगा।
नशामुक्त भारत के संकल्प के साथ
साइकिल पर सवार होंगे लाखों छात्र
आज
वाराणसी
से
डॉ.
मांडविया
करेंगे
अगुवाई
सुरेश
गांधी
वाराणसी।
“विकसित भारत के लिए
नशा मुक्त युवा“ संदेश के साथ केंद्रीय
युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री
डॉ. मनसुख मांडविया 20 जुलाई को वाराणसी से
एक राष्ट्रव्यापी साइकिल अभियान की अगुवाई करेंगे।
यह आयोजन न केवल फिटनेस
को बढ़ावा देने की पहल
है, बल्कि युवाओं को नशे की
लत से दूर रखने
के लिए एक व्यापक
जनआंदोलन का रूप ले
चुका है। देश की
65 फीसदी जनसंख्या 35 वर्ष से कम
आयु की है। ऐसे
में यह अभियान महज
साइक्लिंग का कार्यक्रम नहीं,
बल्कि आने वाले भारत
की बुनियाद को स्वस्थ, सजग
और संकल्पित बनाने का प्रयास है।
इसी सोच के तहत
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से यह ऐतिहासिक
साइकिल यात्रा सुबह शुरू होगी,
जिसमें स्कूली बच्चों के साथ मंत्री
स्वयं साइकिल चलाते हुए जनभागीदारी का
संदेश देंगे।
6 हजार से अधिक स्थानों पर एक साथ आयोजन
यह ‘फिट इंडिया
संडे ऑन साइकिल’ का
32वाँ संस्करण है, जिसे इस
बार देशभर के 6000 स्थानों पर एक साथ
आयोजित किया जाएगा। इसमें
सीबीएसई, सीआईएससीई, केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, डीएवी, और बाल भारती
स्कूल जैसे शैक्षणिक संस्थानों
ने सक्रिय सहभागिता की है। इस
कार्यक्रम से जुड़े 15 लाख
से अधिक स्कूलों को
आह्वान भेजा गया है
कि वे स्वस्थ और
नशा-मुक्त भारत के लिए
साइकिल यात्रा में भाग लें।
हर रविवार को एक मिशन
‘फिट इंडिया संडे
ऑन साइकिल’ की शुरुआत दिसंबर
2024 में की गई थी,
और यह जल्द ही
एक राष्ट्रीय जन आंदोलन बन
गया। हर रविवार देशभर
में 50,000 से ज्यादा लोग
इस पहल का हिस्सा
बनते हैं, जिससे युवाओं
के बीच व्यसनमुक्त जीवनशैली
और सक्रियता का संदेश गहराई
से पहुँच रहा है।
वाराणसी से दिल्ली तक गूंजेगा संदेश
जहां एक ओर
वाराणसी से डॉ. मांडविया
इस आंदोलन का नेतृत्व करेंगे,
वहीं दूसरी ओर नई दिल्ली
के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से इस आयोजन
की शुरुआत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हजारों स्कूली
बच्चों की मौजूदगी में
की जाएगी। इस प्रकार यह
आयोजन एक दिन में
दो प्रमुख केंद्रों से राष्ट्रीय स्तर
पर गूंज उठेगा।
डॉ. मांडविया का संदेशः “स्वस्थ युवा ही विकसित भारत की नींव”
केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने
स्पष्ट कहा कि, “भारत
2047 तक विकसित राष्ट्र तभी बन पाएगा
जब हमारे युवा स्वस्थ और
नशामुक्त होंगे। मादक पदार्थों का
सेवन आज के युवाओं
के लिए सबसे बड़ा
खतरा बन चुका है।
ऐसे में यह हमारी
जिम्मेदारी है कि उन्हें
एक स्वस्थ और सशक्त मार्ग
दिखाया जाए। मैं सभी
स्कूली बच्चों और युवाओं से
अपील करता हूँ कि
वे इस अभियान से
जुड़ें और हर रविवार
को साइकिल चलाकर स्वस्थ भारत के निर्माण
में योगदान दें।”
सेना से सितारों तक : हर वर्ग की सहभागिता
इस अभियान में
न केवल छात्र, बल्कि
भारतीय सेना, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, जीएसटी परिषद, और पीएसयू के
कर्मचारी भी बढ़-चढ़कर
हिस्सा ले रहे हैं।
इतना ही नहीं, खेल
और मनोरंजन जगत की तमाम
नामी हस्तियाँ भी इससे जुड़ी
हैं : खेल जगत से
द ग्रेट खली, लवलीना बोरगोहेन,
प्रियंका गोस्वामी, रानी रामपाल, नीतू
घनघस, स्वीटी बूरा, नितेश कुमार (पैरा ओलंपियन), मनीषा
रामदास, रुबीना फ्रांसिस, सिमरन शर्मा (पैरा विश्व विजेता)
फिल्म व टीवी से
: अमित सियाल, राहुल बोस, मधुरिमा तुली,
मिया मैल्जर और गुल पनाग.
इन सभी का संदेश
एक ही है, स्वस्थ
शरीर में ही स्वस्थ
विचारों का वास होता
है, और साइकिल चलाना
एक साधारण लेकिन प्रभावी तरीका है अपने जीवन
को गतिशील और नशामुक्त रखने
का।
विकास, व्यायाम और व्यसन-मुक्ति का संगम
इस राष्ट्रव्यापी अभियान
को युवा कार्यक्रम एवं
खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) ने भारतीय साइक्लिंग
महासंघ (सीएफआई), माई बाइक्स और
माय भारत के साथ
मिलकर आयोजित किया है। देश
के हर राज्य, केंद्र
शासित प्रदेश, ैएसएआई (भारतीय खेल प्राधिकरण) के
क्षेत्रीय केंद्रों, खेलो इंडिया केंद्रों
एवं राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों में इसे एकसाथ
आयोजित किया जाएगा।
नशे से मुक्ति, साइकिल से शक्ति
वाराणसी से लेकर दिल्ली
तक, लाखों बच्चों की साइकिल पर
यह यात्रा अपने आप में
भारत के भविष्य की
ओर एक कदम है,
जहां युवा केवल फिट
नहीं होंगे, बल्कि नशे की काली
चादर को हटाकर एक
उज्जवल भारत का सूर्योदय
करेंगे। यह आयोजन केवल
खेल मंत्रालय की योजना नहीं,
बल्कि एक संस्कृति परिवर्तन
का आंदोलन है कृ जिसमें
हम सबका सहयोग अनिवार्य
है।
मोबाइल, नशा और रील की लत छोड़ो, भारत जोड़ो!
: डॉ. मांडविया का युवाओं से आह्वान
नशा नहीं,
नवचेतना
चाहिए
: काशी
सम्मेलन
में
युवाओं
ने
ली
विकसित
भारत
की
शपथ
2047 तक नशामुक्त भारत
का
लक्ष्य,
युवाओं
के
हाथों
में
देश
का
भविष्य
मोबाइल-रील
छोड़ो,
देश
जोड़ोः
काशी
में
जागी
युवा
चेतना
युवा आध्यात्मिक
शिखर
सम्मेलनः
काशी
से
उठी
’नशामुक्त
भारत’
की
चेतना
सुरेश गांधी
वाराणसी. “यदि भारत को
2047 तक एक विकसित राष्ट्र
बनाना है, तो इसकी
बुनियाद आज के नशामुक्त,
जागरूक और संस्कारित युवाओं
के हाथों रखनी होगी।“ यह
संदेश शनिवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन
सेंटर से देशभर के
युवाओं के माध्यम से
पूरे भारत में गूंज
उठा, जब केंद्रीय युवा
मामले एवं खेल मंत्री
डॉ. मनसुख मांडविया ने ’विकसित भारत
के लिए नशामुक्त युवा’
विषय पर आयोजित युवा
आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन का
उद्घाटन किया।
यह दो दिवसीय
शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ’पंच
प्राण’ दृष्टि और अमृतकाल की
आकांक्षाओं को मूर्त रूप
देने की दिशा में
एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसमें
देश के 122 से अधिक आध्यात्मिक
और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के 600 से अधिक युवा
प्रतिनिधियों ने भाग लिया,
जो नशा उन्मूलन और
नैतिक पुनर्निर्माण की इस क्रांति
का हिस्सा बन रहे हैं।
काशी से उठी राष्ट्रीय चेतना
काशी, जो स्वयं शिव
की नगरी और सनातन
चेतना का केंद्र है,
अब नशामुक्त भारत आंदोलन का
अग्रदूत बनकर उभरी है।
सम्मेलन का उद्घाटन करते
हुए डॉ. मांडविया ने
स्पष्ट शब्दों में कहा, “भारत
केवल तब विकसित राष्ट्र
बन सकता है, जब
इसके युवा नशे, मोबाइल
की लत और आभासी
रील संस्कृति से खुद को
बचाकर समाज व राष्ट्र
के पुनर्निर्माण में सहभागी बनें।“
उन्होंने चेताया कि केवल शराब,
ड्रग्स या अफीम ही
नहीं, बल्कि मोबाइल फोन की लत,
इंस्टाग्राम रील्स, गेमिंग की व्यसनशीलता भी
आज के युवाओं को
खोखला कर रही है,
जो किसी नशे से
कम घातक नहीं।
’युवाओं को लाभार्थी नहीं, परिवर्तनकर्ता बनाएं’
केंद्रीय मंत्री ने युवाओं को
केवल लाभार्थी के रूप में
नहीं, बल्कि “परिवर्तन के वाहक“ के
रूप में परिभाषित किया।
उन्होंने जोर देकर कहा,
“नशा सिर्फ व्यक्तिगत हानि नहीं, बल्कि
यह राष्ट्रीय प्रगति का शत्रु है।
जब युवा दिशाहीन होते
हैं, तो राष्ट्र की
दिशा भी डगमगाती है।“
धार्मिक मंचों को बनाएं नशा विरोधी मंच
डॉ. मांडविया ने
एक क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत करते हुए कहा
कि धार्मिक और आध्यात्मिक मंचों
को अब नशा विरोधी
आंदोलन का हिस्सा बनना
चाहिए। मंदिरों, गुरुद्वारों, मठों और धर्मसभाओं
से नशामुक्ति का आह्वान होना
चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें एक-एक
नागरिक को प्रेरित करना
है कि वह कम
से कम पाँच अन्य
युवाओं को इस अभियान
से जोड़े। नशा मुक्ति अब
केवल एनजीओ का काम नहीं,
बल्कि राष्ट्र निर्माण का आंदोलन बनना
चाहिए।“
‘काशी घोषणा’ होगी आंदोलन की ध्वजवाहक
सम्मेलन का समापन 20 जुलाई
को ‘काशी घोषणा’ के
उद्घोष के साथ होगा।
यह दस्तावेज सिर्फ एक संकल्प पत्र
नहीं, बल्कि युवाओं और आध्यात्मिक संगठनों
के सामूहिक विचार और राष्ट्रीय संकल्प
की अभिव्यक्ति होगा। यह नशामुक्त भारत
के लिए एक विस्तृत
कार्य योजना और दिशानिर्देशक चार्टर
के रूप में सरकार,
नीति निर्माताओं, युवा संगठनों और
जनप्रतिनिधियों के लिए पथप्रदर्शक
बनेगा।
चार प्रमुख सत्रों में राष्ट्रनिर्माण की योजना
सम्मेलन को चार गहन
विषयगत सत्रों में विभाजित किया
गया है, जो नशामुक्त
भारत की नींव को
ठोस दिशा देंगे, 1. नशे
की आदतः मनोवैज्ञानिक समझ
और युवाओं पर प्रभाव. 2. नशे
के नेटवर्क और वाणिज्यिक हितों
को तोड़ने की रणनीति. 3. प्रभावी
जनसंचार, अभियान और जमीनी पहुंच
रणनीतियां. 4. 2047 तक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता
और युवाओं की भूमिका. इन
सत्रों में मनोविज्ञान, समाजशास्त्र,
नीति, और संचार विशेषज्ञों
के साथ-साथ पूर्व
नशा पीड़ित युवाओं के अनुभव भी
साझा किए जा रहे
हैं।
राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में युवा आहुति दें
केंद्रीय मंत्री ने युवाओं से
आह्वान किया कि “शक्ति
का प्रदर्शन युद्ध में नहीं, चरित्र
निर्माण में हो।“ भारत
के युवा आज यदि
रील से रियलिटी की
ओर लौट आएं, तो
2047 से पहले ही भारत
विश्वगुरु बन सकता है।
युवा शक्ति
को
प्रेरित
करने
वाली
कुछ
और
मुख्य
बातें
:
“नशा भारत को
खोखला कर रहा है,
युवा अगर जागे तो
भारत खुद को फिर
से गढ़ सकता है।“
“मोबाइल एक उपकरण है,
उसका स्वामी बनें, दास नहीं।“
“आध्यात्मिकता का अर्थ है
दृ अनुशासन, आत्म-ज्ञान और
आत्म-नियंत्रण। यही नशामुक्ति का
मूल है।“
काशी से देश को मिला नया नारा : “नशा छोड़ो, भारत जोड़ो : युवा उठो, राष्ट्र गढ़ो“
वाराणसी का यह सम्मेलन
केवल एक आयोजन नहीं,
बल्कि ’नवभारत निर्माण’ की आध्यात्मिक और
सामाजिक घोषणा है। यह उस
भारत की शुरुआत है,
जो रील नहीं, रियल
राष्ट्रवाद में विश्वास करता
है; जो नशा नहीं,
दिशा चाहता है; जो केवल
युवाशक्ति नहीं, संस्कारित युवाशक्ति के बल पर
आगे बढ़ना चाहता है।
काशी की इस पहल
से उम्मीद है कि देशभर
में जनआंदोलन की लहर उठेगी
और भारत वर्ष 2047 से
पहले ही नशामुक्त, विकसित
और जागरूक राष्ट्र के रूप में
विश्व पटल पर प्रतिष्ठित
होगा।
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