लौह पुरुष की जयंती पर दौड़ी काशी, बीएचयू से लेकर मलदहिया तक गूंजा एकता का संदेश
एकता के
लौह
स्तंभ
को
नमन
‘रन
फॉर
यूनिटी’
में
उमड़ी
जनएकता
की
दौड़
सरदार पटेल
ने
जिस
दृष्टि
से
राष्ट्र
को
जोड़ा,
वह
आज
भी
भारत
की
आत्मा
में
स्पंदित
है
: रविन्द्र
जायसवाल
‘लौह पुरुष सरदार
पटेल
स्मृति
द्वार’
का
लोकार्पण
जनपद भर
में
हुआ
देशभक्ति
से
ओतप्रोत
आयोजन,
गूंजे
नारे,
भारत
माता
की
जय,
सरदार
पटेल
अमर
रहें
सुरेश गांधी
वाराणसी. लौह पुरुष सरदार
वल्लभभाई पटेल की 150वीं
जयंती पर शुक्रवार की
सुबह में जब सूरज
की किरणें मलदहिया चौराहे की लौह प्रतिमा
पर पड़ीं, तो मानो देश
की एकता का तेज
वहां झिलमिला उठा। या यूं
कहे पूरी काशी ‘एकता’
की भावना से सराबोर हो
उठी। राष्ट्रीय एकता दिवस के
मौके पर शहर के
हर कोने में देशभक्ति
का उल्लास उमड़ पड़ा। सुबह
से ही बीएचयू से
लेकर मलदहिया, सिगरा, लंका और शिवपुर,
जिलाधिकारी कार्यालय, रेलवे स्टेशन, विद्यालयों और कॉलेजों तक
“रन फॉर यूनिटी” के
जयघोष गूंजते रहे। इस दौरान
जगह-जगह एकता दौड़
और प्रतिज्ञा कार्यक्रम आयोजित किए गए। एनसीसी,
एनएसएस, स्काउट-गाइड और शिक्षण
संस्थानों के छात्रों ने
हाथों में तिरंगा लेकर
‘राष्ट्र की एकता, अखंडता
और सुरक्षा’ की शपथ ली।
रवीन्द्र जायसल ने कहा, सरदार पटेल ने जिस अदम्य इच्छाशक्ति और राष्ट्रनिष्ठा से भारत की रियासतों को एक सूत्र में जोड़ा, वही आज हमारी एकता की रीढ़ है। उनका जीवन हमें बताता है कि जब संकल्प दृढ़ हो, तो बिखराव भी समरसता में बदल जाता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2014 से 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, ताकि हर पीढ़ी यह स्मरण रखे कि भारत की शक्ति उसकी विविधता में निहित है। इस वर्ष दिवस की थीम “एक भारत, आत्मनिर्भर भारत” रखी गई है।
कार्यक्रम के दौरान मंत्री
ने विधायक निधि से ₹9 लाख
62 हजार की लागत से
निर्मित ‘लौह पुरुष सरदार
बल्लभभाई पटेल स्मृति द्वार’
का लोकार्पण किया। इस अवसर पर
मौजूद जनसमूह ने “भारत माता
की जय” और “सरदार
पटेल अमर रहें” के
नारे लगाकर माहौल को राष्ट्रभक्ति से
भर दिया। बीएचयू ट्रामा सेंटर में आयोजित कार्यक्रम
में प्रभारी प्रोफेसर सौरभ सिंह ने
डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ सहित अन्य कर्मचारियों
को राष्ट्रीय एकता और अखंडता
को बनाए रखने की
दिशा में कार्य करते
रहने की शपथ दिलाई।
कहा कि जिस तरह
से राष्ट्र निर्माण में एकता और
अनुशासन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसी तरह
स्वास्थ्य सेवाओं में भी इन
मूल्यों का पालन करना
जरूरी होता है.
हम सब एक हैं, हमारा भारत एक है
सरदार वल्लभभाई पटेल केवल स्वतंत्र
भारत के प्रथम गृह
मंत्री नहीं थे, बल्कि
वे राष्ट्र की आत्मा के
मूर्तिकार थे। उन्होंने जिस
दृढ़ता से रियासतों को
जोड़कर अखंड भारत की
नींव रखी, वही आज
के भारत की एकता
का आधार है। उनके
विचार बताते हैं कि राष्ट्र
का सामर्थ्य केवल उसकी सीमाओं
में नहीं, बल्कि उसकी संवेदनशीलता, परस्पर
विश्वास और समरसता में
निहित है। जब भारत
आत्मनिर्भर और संगठित होगा,
तभी वह सशक्त भी
होगा, यही है सरदार
पटेल की विरासत का
सार।



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